Noida: कहानी लिखना और कहानी कहना में बहुत फ़कऱ् होता है कई बार कहनी पढ़ते पढ़ते ही हम स्वयं को उस कहनी का पात्र मान लेते है और कुछ समय तक हमारे हाव भाव भी कहानी के पात्र जैसे करने लगते वही बात फिल्मो में भी होती है कई फिल्मे हमारे जहन पर असर कर जाती है जो हमारे जीवन का मार्ग ही बदल देती है हम में से काफी लोग ऐसे ही होंगे ये कहना था एएएफटी यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. संदीप मारवाह का, जो नोएडा में चल रहे फेस्टिवल में छात्रों को सम्बोधित कर रहे थे. पत्रकारिता लेखन और कहानी कहने की एक शानदार श्रृंखला के साथ साथ छात्रों की विभिन्न कार्यशालाओं, सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमे दुनिया भर से पत्रकार, लेखक, कहानीकार, कवि ने आकर अपने विचार प्रस्तुत किये इस अवसर पर लेखिका लवलीन थडानी ने कहा फिल्म बनाना एक ऐसी कला है जिसमे एक अकेला इंसान कुछ नहीं कर सकता पूरी टीम काम करती है लेकिन कहानी या नाटक लिखते समय लेखक के अपने उद्गार होते है। इस अवसर पर आई डी एफ एफ-अंतर्राष्ट्रीय वृत्तचित्र फिल्मसमारोह का उद्घाटन भी किया गया जिसमे वृत्तचित्र फिल्म निर्माता, रजा हैदर व वृत्तचित्र फिल्म निर्माता सैयद महमूद नवाज वृत्तचित्र प्रमुख है, साथ ही राजेश बादल वरिष्ठ पत्रकार आरएसटीवी, चैतन्य पादुकोण फिल्म पत्रकार, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता, निर्देशक राहुल रवैल द्वारा ग्लोबल एक्सीलेंस अवार्ड दिया गया। राहुल रवैल ने कहा की ग्लोबल एक्सीलेंस अवार्ड अपने आप में बहुत बड़ा अवार्ड है जो आपको और अच्छा करने की प्रेरणा देगा इसअवसर पर अतिथियों को स्मृति चिन्ह व आजीवन सदस्यता प्रमाण पत्र दिए गए।
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फिल्मे हमारे जहन पर असर कर जाती हैं: संदीप मारवाह
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