Noida: शहीद ए आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहीद दिवस पर ब्राह्मण रक्षा दल के अध्यक्ष, सेक्टर 22 आरडब्लूए संरक्षक व समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता पंडित रवि शर्मा ने उन शहीदों को नमन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। श्री शर्मा ने कहा कि आज उनकी 92वीं पुण्यतिथि है। भारत माता का शीश सदैव ऊंचा रखने वाले अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव सहित सभी वीर और वीरांगनाओं को कोटि-कोटि नमन जिन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। भगत सिंह एक क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्हें 23 साल की उम्र में अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया था। बहुत कम उम्र में ही वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के राष्ट्रीय नायक बन गए थे। भगत सिंह कहते थे कि वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते हैं, वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, लेकिन वे मेरी आत्मा को कुचल नहीं पाएंगे। शहीद भगत सिंह मरने के बाद भी देशवासियों में जिंदा हैं। उनके विचार जिंदा हैं। भगत सिंह का जन्म 1907 में फैसलाबाद जिले (पहले लायलपुर कहा जाता था) के बंगा गाँव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है। भगत सिंह तेरह वर्ष की आयु में औपचारिक शिक्षा छोडऩे के बाद कम उम्र में ही भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हो गए। दिसंबर 1928 में, प्रसिद्ध लाल-बाल-पाल तिकड़ी के राष्ट्रवादी नेता लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने लाहौर में पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट की हत्या की साजिश रची। गलत पहचान के एक मामले में सहायक पुलिस अधीक्षक जॉन सॉन्डर्स की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। गिरफ्तारी से बचने के लिए, सिंह अपनी दाढ़ी और बाल कटवाकर कलकत्ता भाग गए। अप्रैल 1929 में, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल में बम फेंका, और इंकलाब जिंदाबाद! का नारा लगाया। बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इन तीनों को 24 मार्च को फांसी होनी थी लेकिन इनकी लोकप्रियता से डरे अंग्रेजों ने 23 मार्च,1931 को ही फांसी पर लटका दिया। आज भी भगत सिंह के विचारों से हम सबको प्रेरणा मिलती है, युवाओं को भगत सिंह को अपना आदर्श मानना चाहिए और उनके दिखाए रास्ते पर चलने का प्रयत्न करना चाहिए।