बिना खून बहाए रोका था शीत युद्ध, माना जाता है सोवियत संघ के विघटन का जिम्मेदार, जानें कौन थे मिखाइल गोर्बाचेव

Date:

1985 में गोर्बाचेव कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव और राष्ट्रपति बने थे। उस समय सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था बहुत बुरे दौर से गुजर रही थी। उन्होंने आर्थिक सुधार शुरू किए। उनकी नीतियां सुधार के लिए थीं।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोवियत संघ के पूर्व  राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव को बृहस्पतिवार को श्रद्धांजलि दी। पुतिन हालांकि पूर्व सोवियत नेता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होंगे। यह फैसला गोर्बाचेव की विरासत को लेकर क्रेमलिन की मिली-जुली भावना को प्रदर्शित करता है।  बता दें कि गोर्बाचेव की पश्चिम में इस बात को लेकर तारीफ होती है कि उन्होंने बिना खून बहाए शीत युद्ध खत्म कर दिया था। वहीं सोवियत संघ के विघटने के लिए भी उन्हें जिम्मेदार माना जाता है। माना जाता है कि गोर्बाचेव की नीयत सही थी। वह सुधार करना चाहते थे लेकिन इसी वजह से उनकी सत्ता भी चली गई और सोवियत संघ 15 हिस्सों में टूट गया। 
       
गौरतलब है कि गोर्बाचेव का मंगलवार को निधन हो गया था। वह 91 वर्ष के थे।  क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने बताया कि रूस के पश्चिमी छोर में बाल्टिक बस्ती कलिनिनग्राद के दौरे के लिए रवाना होने से पहले पुतिन मॉस्को के उस अस्पताल गए, जहां शनिवार को अंतिम संस्कार के पहले गोर्बाचेव की पार्थिव देह को पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए रखा गया है।

क्यों हुआ सोवियत संघ का विघटन

1985 में गोर्बाचेव कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव और राष्ट्रपति बने थे। उस समय सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था बहुत बुरे दौर से गुजर रही थी। उन्होंने आर्थिक सुधार शुरू किए। उनकी नीतियां सुधार के लिए थीं लेकिन परिणाम उल्टा निकले। जनता में असंतोष की वजह से यहां सत्ता का विरोध होने लगा। इसके बाद हालात ये बने कि गोर्बाचेव को विद्रोही प्रांतों को स्वतंत्र घोषित करना पड़ गया। 

 पेस्कोव ने एक कॉन्फ्रेंस कॉल में संवाददाताओं से कहा, ”यह खेदजनक है कि राष्ट्रपति के तय कार्यक्रम के कारण वह शनिवार को यह नहीं कर पाएंगे, इसलिए उन्होंने आज यह करने का फैसला किया।” रूसी सरकारी टेलीविजन चैनल में दिखाया गया कि पुतिन गोर्बाचेव के खुले ताबूत की ओर गए और उन्होंने उसके पास लाल गुलाब का एक गुलदस्ता रखा। वह कुछ देर मौन खड़े रहे, उन्होंने अपना सिर झुकाया, ताबूत को छुआ, अपने सीने पर हाथ रखा और फिर वहां से चले गए।
    
 गोर्बाचेव का मंगलवार को निधन हो गया था। उनकी पार्थिव देह को मास्को के नोवोडदेविची कब्रिस्तान में उनकी पत्नी रायसा के ताबूत के पास दफनाया जाएगा। इसके पहले ‘हाउस ऑफ द यूनियंस’ के पिलर हॉल में उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी जाएगी।  पुतिन का अस्पताल में जाकर गोर्बाचेव को निजी रूप से श्रद्धांजलि देना और शनिवार को सार्वजनिक रूप से दी जानी वाली अंतिम श्रद्धांजलि से दूरी बनाना तथा अंतिम संस्कार के तरीके को लेकर अनिश्चितता पूर्व सोवियत नेता की विरासत को लेकर क्रेमलिन की असहजता को दर्शाती है। दिवंगत नेता को शीत युद्ध को समाप्त करने के लिए पश्चिम में सराहा जाता है, लेकिन 1991 में सोवियत के विघटन के लिए जिम्मेदार कदमों के लिए रूस में उनके कई आलोचक हैं।
     
यदि क्रेमलिन गोर्बाचेव के लिए राजकीय अंतिम संस्कार की घोषणा करता, तो पुतिन का आधिकारिक समारोह में शामिल न होना अजीब लगता। राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने पर क्रेमलिन को विदेशी नेताओं को भी इसमें शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजना पड़ता, जो मास्को यूक्रेन में अपनी कार्रवाई को लेकर पश्चिम के साथ तनाव के बीच संभवत: नहीं करना चाहता।
     
पुतिन ने गोर्बाचेव की स्पष्ट व्यक्तिगत आलोचना करने से बचते हुए अतीत में उन पर बार-बार आरोप लगाया था कि वह उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के पूर्व की ओर विस्तार की संभावनाओं को मिटाने के लिए पश्चिम से लिखित प्रतिबद्धताएं हासिल करने में नाकाम रहे। नाटो का पूर्व की ओर विस्तार पश्चिमी देशों और रूस के बीच संबंधों में तनाव का मुख्य कारण है और इसी के परिणामस्वरूप रूसी नेता ने 24 फरवरी को यूक्रेन में सेनाएं भेजीं।
    

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

धर्मांतरण से राष्ट्रांतरण होता है: अनिल आर्य

Ghaziabad News: बुधवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के...

ईएमसीटी ट्रस्ट और मागो साइकिल ने बच्चों के सपनों को दिये पंख

Greater Noida News: ईएमसीटी ट्रस्ट और मागो साइकिल ने...

अधिवक्ताओं का एकतरफा समर्थन अध्यक्ष पद के प्रत्याशी प्रमेन्द्र भाटी के साथ

Greater Noida News: जनपद दिवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन...