लगातार मोबाइल का उपयोग करने से याददाश्त पर पड़ता है असर: डॉ. जयदीप गंभीर

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NOIDA NEWS: मोबाइल फोन हमारे जीवन का जरूरी हिस्सा बन चुका है, लेकिन इसका ज्यादा इस्तेमाल मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इससे बचने के लिए हमें डिजिटल बैलेंस बनाए रखने की जरूरत है। सीमित और नियंत्रित मोबाइल उपयोग से हम मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।
फेलिक्स अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. जयदीप गंभीर का कहना है कि आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। लेकिन जरूरत से ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। लगातार मोबाइल स्क्रीन पर समय बिताने से दिमागी क्षमता प्रभावित होती है, जिससे एकाग्रता में कमी, तनाव, सिरदर्द और अन्य मानसिक समस्याएं हो सकती हैं। ज्यादा मोबाइल चलाने का कारण सोशल मीडिया की लत है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर (एक्स) और यूट्यूब जैसे प्लेटफार्म लोगों को घंटों तक मोबाइल से जोड़े रखते हैं। इसके अलावा गेमिंग एडिक्शन यानी ऑनलाइन गेम्स, खासकर पबजी और फ्री फायर जैसे गेम, युवाओं को मानसिक रूप से प्रभावित कर रहे हैं। काम और ऑनलाइन मीटिंग यानी ऑफिस का काम और ऑनलाइन मीटिंग्स के कारण भी लोग ज्यादा समय मोबाइल स्क्रीन के सामने बिताते हैं। मनोरंजन और वीडियो स्ट्रीमिंग यानी नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, यूट्यूब जैसी प्लेटफार्म पर लगातार फिल्में और वेब सीरीज देखने की आदत भी बढ़ती जा रही है। ऑनलाइन पढ़ाई और डिजिटल क्लासेज यानी बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज और डिजिटल स्टडी के कारण भी मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल बढ़ा है। मोबाइल स्क्रीन की नीली रोशनी (ब्लू लाइट) दिमाग पर असर डालती है और सिरदर्द की समस्या को जन्म देती है। देर रात तक मोबाइल चलाने से मेलाटोनिन हार्मोन प्रभावित होता है, जिससे नींद नहीं आती। ज्यादा मोबाइल इस्तेमाल करने से ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कमजोर होती है। सोशल मीडिया की लत से लोग अपनी तुलना दूसरों से करने लगते हैं, जिससे अवसाद की स्थिति पैदा होती है। मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली किरणें आंखों पर बुरा प्रभाव डालती हैं, जिससे आई-स्ट्रेन और आंखों में जलन होती है। ज्यादा मोबाइल इस्तेमाल करने वाले लोग वास्तविक दुनिया से कटने लगते हैं, जिससे सामाजिक जीवन प्रभावित होता है। मोबाइल फोन का ज्यादा उपयोग मस्तिष्क की संरचना और कार्य प्रणाली पर गहरा प्रभाव डालता है। लगातार मोबाइल का उपयोग करने से याददाश्त पर असर पड़ता है। मोबाइल की लत से व्यक्ति जल्दी निर्णय लेने में सक्षम नहीं होता। मोबाइल फोन से निकलने वाली रेडिएशन दिमागी कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है। लगातार ऑनलाइन रहने से व्यक्ति का वास्तविक जीवन में दूसरों से बात करने का आत्मविश्वास कम हो जाता है। बेहतर होगा कि रोजाना मोबाइल इस्तेमाल का एक निश्चित समय तय करें। रात के समय मोबाइल की ब्लू लाइट को कम करने के लिए ब्लू लाइट फिल्टर का उपयोग करें। कुछ दिनों के लिए सोशल मीडिया से दूर रहने की कोशिश करें। किताबें पढ़ें, व्यायाम करें, परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं। सोने से कम से कम एक घंटे पहले मोबाइल का इस्तेमाल बंद कर दें। मोबाइल पर स्क्रीन टाइम मॉनिटर करने वाले ऐप्स (जैसे डिजिटल वेलबीइंग, फोकस मोड) का इस्तेमाल करें। अगर मोबाइल की लत मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है, तो साइकोलॉजिस्ट से सलाह लें। ध्यान और योग से मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है। असली दुनिया में अधिक सामाजिकता अपनाने से मोबाइल पर निर्भरता कम हो सकती है। पेंटिंग, म्यूजिक, डांस, आउटडोर गेम्स जैसी गतिविधियों में हिस्सा लें।

ज्यादा मोबाइल चलाने के लक्षण:
माइग्रेन और सिरदर्द
नींद की समस्या (अनिद्रा)
एकाग्रता में कमी
तनाव और डिप्रेशन
आंखों में जलन और धुंधलापन
सामाजिक दूरी और अकेलापन

ज्यादा मोबाइल चलाने से बचाव के उपाय:
स्क्रीन टाइम को सीमित करें
ब्लू लाइट फिल्टर का इस्तेमाल करें
सोशल मीडिया डिटॉक्स करें
ऑफलाइन एक्टिविटी अपनाएं
रात में मोबाइल बंद करें
डिजिटल वेलनेस ऐप्स का उपयोग करें