आज़ादी की लड़ाई को गति देने को भगत सिंह ने दी थी शहादत: देवेंद्र अवाना

0
118

Noida: सेक्टर 11 स्थित भारतीय सोशलिस्ट मंच के प्रदेश कार्यालय पर शहादत दिवस और समाजवाद के प्रणेता डॉ. राम मनोहर लोहिया की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर जहां भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनकी शहादत को नमन किया गया वहीं डॉ. राम मनोहर लोहिया के संघर्ष को याद करते हुए उनके पदचिन्हों पर चलने का संकल्प लिया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र अवाना ने कहा कि भगत सिंह ऐसे महान क्रांतिकारी थे जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई को गति देने के लिए अपनी शहादत देने का संकल्प लिया और तमाम लोगों के रोकने के बावजूद उन्होंने अपनी शहादत दी। उन्होंने कहा कि भगत सिंह का कहना था कि युवाओं में आज़ादी का जज्बा भरने के लिए उन्हें शहादत देने पड़ेगी। यही वजह थी कि जब उन्होंने दिल्ली असेम्बली में बम फोड़ा तो ऐसी जगह कोने में फोड़ा कि कोई हताहत न हो। वह अंग्रेजी हुकूमत को विरोध हिंसा से बल्कि विचार से कर रहे थे। भगत सिंह एक विचारशील क्रांतिकारी थे, भले ही उन्हें एक बंदूकधारी क्रांतिकारी के रूप में प्रस्तुत किया गया हो पर वह वैचारिक क्रांति के पक्षधर थे।
राष्ट्रीय प्रवक्ता चरण सिंह राजपूत ने डॉ. राम मनोहर लोहिया के संघर्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा की देश के राजनीति में अन्याय के विरोध जिस हद तक डॉ. लोहिया ने किया वह विरोध दूसरे नेता नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि आज के नेताओं को लोहिया की देशभक्ति और समर्पण भाव से सीख लेनी चाहिए। आज के नेता थोड़े से स्वार्थ में अपने रास्ते बदल लेते हैं। लोहिया जी को कभी कोई दबाव डिगा न सका। उन्होंने कहा कि जेब भारत छोड़ो आंदोलन में लोहिया आगरा जेल में बंद थे तो उनके पिता का निधन हो गया। अंग्रेज सरकार उनको पैरोल पर छोड़कर अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए उनके घर भेज रही थी पर लोहिया ने अंग्रेजों की कोई भी सहानुभूति ले से इनकार कर दिया और कहा कि जिन अंग्रजों को खदेडऩे के लिए मैं लड़ रहा हूँ उनकी कोई सहानुभूति मुझे नहीं चाहिए।
गौतमबुद्ध नगर के जिला अध्यक्ष देवेंद्र गुर्जर ने कहा कि भगत सिंह और डॉ. राम मनोहर लोहिया दोनों समाजवादी थे। आज के समाजवादियों को इन दोनों महान विभूतियों के संघर्ष से सीख लेते हुए वातानुकूलित कमरों से बाहर निकलकर संघर्ष का रास्ता अपना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज की तारीख में भगत सिंह और डॉ. लोहिया के विचारों की जरूरत है।
इस अवसर पररामानंद, देवेंन्द्र गुर्जर, दामोदर, नरेंद्र शर्मा, देवेन्द्र अवाना, इरसाद,चरण सिंह, फरमान, राकेश शर्मा, पप्पू राम,सन्नी गुर्जर,रामबीर यादव, मौ यामीन आदि उपस्थित रहे।