NOIDA NEWS: सेक्टर 24 थाना पुलिस और साइबर सेल नोएडा की संयुक्त टीम ने 4 लोगों को गिरफ्तार किया है जो पीएनबी मेट लाइफ बीमा पॉलिसी रिन्यूअल का झांसा देकर लोगों से ठगी करते थे। इसमें एक महिला भी शामिल है। ये लोग सेक्टर-11 में कॉल सेंटर चला रहे थे। इनके कब्जे से 16 मोबाइल और बीमा पॉलिसी के 3 बंडल दस्तावेज बरामद हुए हैं। इनकी पहचान पंकज कुमार, कुशाग्र पांडे, राजपाल सिंह और राहुल यादव के रूप में हुई है। ये लोग अब 50 से ज्यादा लोगों से ठगी कर चुके हैं। जिसमें 12 से 13 लोगों की पहचान हो चुकी है।
ये लोग डार्क वेब या अन्य माध्यमों से पीएनबी मेट लाइफ बीमा धारकों की पॉलिसी की पूरी जानकारी रखते हैं। इसके बाद उन धारकों को पॉलिसी रिन्यूअल करने के लिए कॉल करते हैं। धारकों को फोन पर डिस्काउंट का लालच दिया जाता है। साथ ही कई लुभावने पैकेज और स्कीम बताई जाती हैं। इसके बाद भी अगर पॉलिसी धारक झांसे में नहीं आते तो उन्हें वसूली के नाम पर धमकाते हैं। जिससे पॉलिसी धारक झांसे में आ जाते हैं और अपने पैसे उनके द्वारा खोले गए खातों में ट्रांसफर कर देते हैं। जब धारकों ने पॉलिसी कंपनी में पूछताछ की तो पता चला कि उनकी पॉलिसी रिन्यू नहीं हुई है। ये लोग हमेशा दूर-दराज के राज्यों से लोगों को अपने जाल में फंसाते थे। जिसमें महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु आदि शामिल हैं। ये लोग एक जगह पर ज्यादा समय तक नहीं रुकते थे। ये अलग-अलग जगहों पर कमरे किराए पर लेकर इस तरह की गतिविधियों को अंजाम देते थे।पूछताछ में बताया कि ये लोग अधिकृत कॉल सेंटर वाले बनकर लोगों का निजी डेटा जुटाते थे। इसके बाद ये लोग खुद को बीमा लोकपाल बताकर कॉल करते थे। इससे पहले भी ये लोग कोटक महिंद्रा बैंक समेत कई बीमा संबंधी कंपनियों में काम कर चुके हैं। जिससे इन्हें बीमा पॉलिसियों के बारे में अच्छी जानकारी थी। हमारे पास लोगों का निजी डेटा भी था। जिससे हम लोगों की बीमा पॉलिसी बंद करने, उसे रिन्यू करवाने और अच्छा रिफंड दिलाने के नाम पर आवेदन लेते थे। ये लोग सरकारी खर्च के नाम पर उन लोगों से पैसे ट्रांसफर कर लेते थे।
1300 से ज्यादा फॉर्म मिले
इन चारों के पास से 1300 से ज्यादा फॉर्म मिले हैं। इसमें लोगों के डेटा और इंश्योरेंस पॉलिसी की जानकारी थी। ये लोग पॉलिसी रिन्यूअल के नाम पर कुल रकम का 30 से 35 फीसदी हिस्सा लेते थे। इनकी ठगी से सबसे ज्यादा प्रभावित वो लोग होते थे जिनकी पॉलिसी शुरू हो चुकी थी और दो से तीन किस्त जमा करने के बाद वो पैसे जमा नहीं करते थे। ये लोग आसानी से ठगी का शिकार हो जाते थे।
दो महीने से थे सक्रिय
ये गिरोह नोएडा में दो महीने से सक्रिय था। डीसीपी ने बताया कि ये लोग छोटी-छोटी रकम मांगते थे। जैसे 20, 25 हजार रुपये। ऐसे में जिस व्यक्ति की किस्त ज्यादा होती है और उसकी पॉलिसी लैप्स हो जाती है, उसे ये ऑफर समझकर आसानी से पैसे दे देते थे। बातचीत के दौरान उन्हें ठगी का पता चलता था।