समय पर इलाज कराने से ठीक हो सकता है कुष्ठ रोग: डॉ. कुसुम गुप्ता

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Noida News: कुष्ठ रोग (लेप्रोसी) अब असाध्य नहीं है और इसके इलाज और रोकथाम के लिए प्रभावी उपाय उपलब्ध हैं। हमें मिलकर इस बीमारी के उन्मूलन के लिए कार्य करना चाहिए और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में आगे बढऩा चाहिए। यह बातें फेलिक्स अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. कुसुम गुप्ता ने विश्व कुष्ठ रोग दिवस पर कही। उनका कहना है कि कुष्ठ रोग जिसे हैन्सन डिजीज भी कहा जाता है, एक संक्रामक बैक्टीरियल रोग है, जो माइकोबैक्टीरियम लेप्रे नामक जीवाणु के संक्रमण से होता है। यह मुख्य रूप से त्वचा, नसों और श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। यदि इसका समय रहते इलाज न किया जाए, तो यह गंभीर विकलांगता का कारण बन सकता है। कुष्ठ रोग मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक संपर्क में रहने से फैलता है। यह हवा में मौजूद ड्रॉपलेट्स जैसे खांसी या छींक के माध्यम से फैल सकता है, हालांकि यह रोग अत्यधिक संक्रामक नहीं है। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को यह रोग अधिक प्रभावित कर सकता है। इस बीमारी की पहचान त्वचा परीक्षण, बायोप्सी, और माइक्रोस्कोपिक जांच द्वारा की जाती है। डॉक्टर रोगी के लक्षणों की जांच करके और त्वचा की संवेदनशीलता को परखकर इसका निदान करते हैं। कुष्ठ रोग पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। इसके लिए मल्टी ड्रग ट्रीटमेंट (एमटीडी) उपलब्ध है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रमाणित किया गया है। इलाज के दौरान मरीज को नियमित रूप से दवाएं लेनी होती हैं, जिससे संक्रमण पूरी तरह समाप्त हो सकता है। समाज में कुष्ठ रोग को लेकर कई भ्रांतियां फैली हुई हैं, जिन्हें दूर करना आवश्यक है। भ्रांति है कि कुष्ठ रोग छूने से फैलता है। जबकि सच्चाई यह है कि केवल लंबे समय तक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में रहने से फैल सकता है। भ्रांति है कि कुष्ठ रोग का इलाज संभव नहीं है। जबकि सच्चाई यह है कि यह पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। भ्रांति है कि कुष्ठ रोग अनुवांशिक होता है। जबकि सच्चाई यह है कि जीवाणु जनित रोग है, जो संपर्क से फैलता है। कुष्ठ रोग केवल चिकित्सा का ही नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता का भी विषय है। इस रोग से जुड़े लोगों को भेदभाव और सामाजिक अपमान का सामना करना पड़ता है।

कुष्ठ रोग के लक्षण:
त्वचा पर हल्के रंग या लाल धब्बे, जो सुन्न होते हैं
हाथों, पैरों या चेहरे की नसों में सूजन या मोटापा
शरीर के विभिन्न हिस्सों में संवेदनहीनता
घाव या अल्सर जो जल्दी ठीक नहीं होते
उंगलियों और पैरों में विकृति या टेढ़ापन

कुष्ठ रोग से बचाव और रोकथाम:
संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें।
व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें।
संतुलित आहार और अच्छी जीवनशैली अपनाएं ताकि प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनी रहे।
कुष्ठ रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
टीकाकरण (बीसीजी वैक्सीन) से कुष्ठ रोग की संभावना को कम किया जा सकता है।