सदैव अमर रहेंगे वीर शिरोमणि धर्मयोद्धा महाराणा प्रताप: पंडित रवि शर्मा

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Noida: भारत के वीरों का जब भी जिक्र होगा, मेवाड़ी राजा महाराणा प्रताप का नाम जरूर याद किया जाएगा। महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पर नोएडा सेक्टर 22 आरडब्लूए संरक्षक व ब्राह्मण रक्षा दल के मुख्य संरक्षक पंडित रवि शर्मा ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आज पुण्यतिथि है धर्म की रक्षा के लिए हर सुख का त्याग करने वाले उस अमर बलिदानी का जिनका नाम सुन कर आज भी भुजाएं खुद से ही फड़क उठती हैं। पुण्यतिथि है राजस्थान में आज ही जन्मे उस गौरव महाराणा प्रताप का जो बन गये हिंदुत्व के वो प्रतीक जो शिक्षा देते रहेंगे अनंत काल तक धर्म की रक्षा की। उन्होंने बताया कि भले ही हालात कितने भी विषम क्यों न हो और दुश्मन कितना भी मजबूत क्यों न हो। महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 ईस्वी को राजस्थान के कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था। उनके पिता महाराणा उदयसिंह और माता जीवत कंवर थीं। वे राणा सांगा के पौत्र थे। महाराणा प्रताप को राजपूत वीरता, शिष्टता और दृढ़ता की एक मिशाल माना जाता है। वह मुगलों के खिलाफ युद्ध लडऩे वाले अकेले योद्धा थे। उन्होंने स्वयं के लाभ के लिए भी कभी किसी के आगे हार नहीं मानी थी। मेवाड़ की शौर्य-भूमि धन्य है जहां वीरता और दृढ प्रण वाले प्रताप का जन्म हुआ। जिन्होंने इतिहास में अपना नाम अजर-अमर कर दिया। उन्होंने धर्म एवं स्वाधीनता के लिए अपना बलिदान दिया। हल्दीघाटी का युद्ध अय्याश क्रूर हत्यारा अकबर और वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के बीच 18 जून, 1576 ई. को लड़ा गया था। हल्दीघाटी के युद्ध में न तो दरिंदा अकबर जीत सका और न ही राणा हारे। महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनके छाती का कवच 72 किलो का था। उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था। हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के पास सिर्फ 20000 सैनिक थे और अकबर के पास 85000 सैनिक। इसके बावजूद महाराणा प्रताप ने हार नहीं मानी और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते रहे।19 जनवरी 1597 को वीर शिरोमणि राणा प्रताप जी अमरता को प्राप्त हो गए थे। श्री शर्मा ने कहा कि वीर शिरोमणि धर्मयोद्धा महाराणा प्रताप जी सदैव अमर रहेंगे।