UP में GST विभाग की छापेमारी पर 72 घंटे की लगी रोक

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में हो रही जीएसटी विभाग की छापेमारी पर फिलहाल रोक लगा दी गई है. यूपी सरकार ने अगले 72 घंटे तक के लिए जीएसटी विभाग की छापेमारी को रोकने का आदेश दिया है. इस छापेमारी को लेकर पूरे प्रदेश भर में आक्रोश था और हर जिले में व्यापारी सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे थे. व्यापारियों का आरोप था कि जीएसटी विभाग के अफसर उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं.
गौरतलब है कि पिछले एक हफ्ते से प्रदेश स्तर पर जीएसटी विभाग की छापेमारी चल रही है. इस छापेमारी से यूपी के सभी जिलों के व्यापारियों में हड़कंप मचा हुआ है, जिसके चलते अधिकतर बाजार बंद हैं. जीएसटी टीम की छापेमारी से डरे व्यापारी अपनी दुकानों को बंद किए हैं. पूरे व्यापारियों में बड़ा आक्रोश है. जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहा है.
सीएम योगी से मिले व्यापार कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष
जीएसटी विभाग की छापेमारी को लेकर व्यापार कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष पुष्पदंत जैन ने रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी. मुलाकात के बाद गोरखपुर पहुंचे पुष्पदंत जैन ने कहा, ‘मुख्यमंत्रीजी ने कहा है कि किसी व्यापारी को कोई दिक्कत हो तो हमें बताएं. किसी व्यापारी को दिक्कत नहीं होने दी जाएगी.’
व्यापार कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष पुष्पदंत जैन ने दुकानदारों से अपील करते हुए कहा था कि वह अपनी दुकानों को खोलें, दुकान बंद करके भागे नहीं और डटकर मुकाबला करें. किसी भी व्यापारी के साथ गलत नहीं होने दिया जाएगा, जिनका रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है वो जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराएं, इनकम टैक्स भरें, यह सरकार का हक है.उत्तर प्रदेश के कई जिलों में चल रही है छापेमारी
गोरखपुर, औरेया, फिरोजाबाद, औरेया, झांसी, महोबा, कानपुर, ललितपुर समेत लगभग सभी जिलों में जीएसटी की टीमें पिछले एक हफ्ते से छापेमारी कर रही हैं. बताया जा रहा है कि हालत ये हैं कि जीएसटी टीम की रेड की अफवाह से ही पूरे मार्केट की धड़ाधड़ शटरें गिरा दी जाती हैं. बाजार में कुछ ही पलों में सन्नाटा छा जाता है.

व्यापारियों ने लगाया उत्पीड़न का आरोप
जो दुकानें रजिस्टर्ड नहीं हैं या फिर उन्हें कार्रवाई का डर सता रहा है, वे दुकानें बंद करके घरों में बैठे हैं. व्यापारी बताते हैं कि जो दुकानदार जीएसटी के दायरे में नहीं है, उन्हें भी छापेमारी के नाम पर परेशान किया जा रहा है. आरोप है कि जांच में कुछ टेक्निकल खामियां निकाली जाती हैं और फिर कार्रवाई का दबाव डाला जाता है. प्रतिष्ठानों को सीज करने की धमकी दी जाती है. बाद में बिना टैक्स एसेसमेंट किए पेनाल्टी जमा करवाई जाती है.