नेक्सजन एनर्जिया की एक और छलांग, गुजरात में 3000 करोड़ का निवेश

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NOIDA NEWS: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के सपने को साकार करने के संकल्प के प्रकल्प में,नोएडा स्थित “नेक्सजेन एनर्जिया लि.”ने गुजरात प्रदेश में निवेश की नयी संभावनाएं तलाश कर सफलता की एक और छलांग लगा दी है। डॉ पीयूष द्विवेदी,मैनेजिंग डायरेक्टर नेक्सजेन एनर्जिया ने हमें बताया कि प्रतिवर्ष फसल अवशेषों को जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण की समस्या के समाधानार्थ नेक्सजेन एनर्जिया गुजरात में निवेश करने जा रही है।इसी क्रम में बुधवार को, उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल से एक सम्मेलन के दौरान मुलाकात की व विस्तार से चर्चा की।
डॉ द्विवेदी ने हमें बताया कि नेक्सजेन एनर्जिया तीन हजार करोड़ रूपए से ज्यादा का निवेश करेगी व यहां सीएनजी कम्प्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) प्लांट लगाएगी व इसके अतिरिक्त ईवी यूनिट तथा कई अन्य यूनिट भी लगाएगी। उक्त प्रस्ताव पेश भी किया गया व जल्द ही इस सिलसिले में कंपनी के साथ गुजरात सरकार का प्रशासनिक अमला एमओयू साइन करेगा। ज्ञातव्य हो कि पहले भी कंपनी ने पंजाब व यूपी, हरियाणा में सीबीजी प्लांट लगाए हैं और यहीं नहीं हाल ही में उप्र में इंवेस्टर्स समिट के समय नेक्सजेन एनर्जिया ने 13 हजार 900 करोड़ के निवेश के वाबत मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। डॉ द्विवेदी ने कहा कि सीबीजी प्लांट के जरिए पराली और कचरे से सीएनजी गैस बनाने के प्रोसेस में जैविक खाद भी मिलेगी और इसके लिए किसानों से पराली ली जाएगी व उन्हें जैविक खाद उपलब्ध कराया जाएगा।डॉ द्विवेदी का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के साथ अन्य प्रोजेक्ट मिलाकर 3000 करोड़ के निवेश पर सहमति बनी है और सीबीजी प्लांट शुरू होने के साथ ही सीएन जी कंप्रेस्ड बायोगैस सीधे सीएनजी पंपों को आपूर्ति शुरू करेंगे। किसानों से पराली खरीदने पर एक बड़ी समस्या का समाधान होगा व साथ ही कंपनी किसानों को किफायती दरों पर जैविक खाद भी उपलब्ध करवाएगी। एम डी द्विवेदी ने बताया कि आगामी पांच सालों में देश में 10 हजार से अधिक सीएनजी पंप लगाएंगे और सभी पंपों को सभी एक हजार प्रोडक्शन यूनिट से सीएनजी गैस की सप्लाई करेंगे व इससे पूरा सप्लाई और सेल नेटवर्क बना कर ग्राहकों को सीधे सप्लाई होगी।जिससे कंपनी संचालन खर्च भी नियंत्रित होगा तथा सीबीजी संयंत्रों के विस्तार से रोजगार सृजन होगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा व साथ ही शुद्ध- शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा।