भौतिक व आध्यात्मिक शक्ति परमात्मा की उपासना से मिलती है: स्वामी सुभाष

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Ghaziabad: शनिवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में ईश्वर भक्ति की अनिवार्यता विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह करोना काल से 514 वाँ वेबनार था।
वैदिक प्रवक्ता स्वामी सुभाष जी ने कहा कि मानव जीवन के दो किनारे हैं जिस प्रकार नदी के दो किनारे होते हैं एक का नाम है भौतिक पक्ष और दूसरे का नाम है आध्यात्मिक पक्ष और जिस प्रकार से जो नदी जहां से निकलती हैं यदि वह अपने दोनों किनारों को समानांतर रूप से लेकर के चलती चली जाती है तो वह अपने महान लक्ष्य समुद्र में जाकर के विलीन हो जाती है इसी प्रकार से जो व्यक्ति अपने जीवन के इन दोनों पक्षों को समानांतर रूप से लेकर के चलता चला जाता है,तो उसके जीवन का जो महान लक्ष्य परमात्मा है उसको वह सहज रूप से प्राप्त कर लेता है और इन दोनों किनारों में समन्वय और समानता बैठाने के लिए इन दोनों किनारों को समान रूप से लेकर के चलने के लिए यदि इस संसार के अंदर कोई सर्वोत्तम साधन हो सकता है तो उसका नाम है ईश्वर भक्ति की अनिवार्यता है,जो व्यक्ति अपने जीवन में दोनों पक्षों में उन्नति प्राप्त करना चाहता है भौतिक पक्ष को लेकर के भी वह सफल होना चाहता है और आध्यात्मिक पक्ष को ले करके भी वह अपने जीवन में समुन्नति को प्राप्त करना चाहता है मित्रों जो व्यक्ति ईश्वर भक्ति रूपी धागा बांध लेता है, इन दोनों किनारों के बीच में बांध लेता है तो यह दोनों पक्ष समान रूप से चलते हुए उस व्यक्ति के जीवन में सुख की प्राप्ति भी करा देता है और साथ में जो पारलौकिक सुख है हमारे जीवन के जो महान लक्ष्य है धर्म,अर्थ, काम,मोक्ष की प्राप्ति भी सहज रूप से हमें हो जाती है,इसलिए स्वामी जी ने इस बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि जो व्यक्ति अपने जीवन में सर्वांगीण विकास करना चाहता है इस संसार के अंदर रहते हुए धन संपत्ति वैभव ऐश्वर्य मान सम्मान आदि को प्राप्त करना चाहता है तो उस व्यक्ति को भी उस परमपिता परमेश्वर की नित्य-प्रति भक्ति करनी चाहिए और और जो व्यक्ति अपने जीवन में आध्यात्मिक उन्नति करना चाहता है अपनी आत्मिक शक्ति से परिचित होना चाहता है,परमात्मा के स्वरूप को समझना चाहता है,तो उस व्यक्ति को भी ईश्वर की भक्ति को अपने जीवन का अनिवार्य अंग बनाना चाहिए और इसके लिए स्वामी जी ने प्रमाण के रूप में ईश्वर स्तुति प्रार्थना उपासना के दूसरे तीसरे चौथे और पांचवे वेद मंत्र को प्रस्तुत किया,जिसमें स्पष्ट रूप से महर्षि दयानंद ने इस बात को लिखा है।हम लोग उस सुखदायक परमात्मा के लिए ग्रहण करने योग्य योगाभ्यास और अति प्रेम से विशेष भक्ति किया करें और तीसरे वेद मंत्र का उदाहरण देते हुए यह बात स्पष्ट की गई की आत्मा और अंत: करण से भक्ति उस परमपिता परमेश्वर की विशेष रूप से हम भक्ति करें अर्थात निरंतर उस परमात्मा की आज्ञा का पालन करें इसी तरह से चौथेवेद मंत्र का आश्रय लेकर के उन्होंने बताया की,अपनी सारी उत्तम सामग्री उस परमात्मा के प्रति समर्पित करके उस परमपिता परमेश्वर की विशेष भक्ति करें और पांचवी वेद मंत्र में तो यह बिल्कुल स्पष्ट कर दिया गया कि हम अपना सर्वस्व समर्पित करके उस परमपिता परमेश्वर की विशेष भक्ति करें इस तरह से महर्षि दयानंद ने चार वेद मंत्र यहां प्रस्तुत किए इसमें परमात्मा की विशेष भक्ति करने का विधान किया है और साथ में उसके उपाय भी बताए कि व्यक्ति अपने जीवन में किस प्रकार से उस परमात्मा की भक्ति करें उसके लिए उन्होंने कहा कि योगाभ्यास और अति प्रेम पूर्वक हम परमात्मा की विशेष भक्ति करें,यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि यह जो योग के 16 अंग हैं,यम पांच प्रकार के और नियम भी पांच प्रकार के अहिंसा,सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह एवं नियम शौच, संतोष, तप:, स्वाध्याय, ईश्वर प्रणिधानानी, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि योग के 16 अंगों को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाते हुए और अति प्रेम पूर्वक हम उस परमपिता परमेश्वर की सदैव विशेष भक्ति किया करें। और इससे आगे ईश्वर स्तुति प्रार्थना उपासना के चौथे वेद मंत्र को आधार बनाकर के यह स्पष्ट किया गया कि हम अपनी सकल उत्तम सामग्री उस परमात्मा की आज्ञा में समर्पित करके उस परमात्मा की विशेष भक्ति किया करें और पांचवें वेद मंत्र में तो यह कह दिया गया कि हम लोग उस सुखदायक कामना करने योग्य परब्रह्म की प्राप्ति के लिए अपना सब सामथ्र्य लगाकर के उस परमात्मा की विशेष भक्ति करें इस तरह से महर्षि दयानंद ने इन वेद मंत्रों के द्वारा ईश्वर की भक्ति मानव जीवन के लिए अनिवार्य बतलाई है। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि ईश्वर भक्ति से बड़े से बड़ा कष्ट छोटा हो जाता है।
मुख्य अतिथि नित्य प्रिय आर्य व अध्यक्ष डॉ.गज राज सिंह आर्य ने भी ईश्वर भक्ति की महत्ता पर प्रकाश डाला। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
गायिका प्रवीना ठक्कर, रविन्द्र गुप्ता, कौशल्या अरोड़ा, जनक अरोड़ा, अशोक गोयल, नरेश प्रसाद आर्य, कमला हंस, कुसुम भंडारी आदि के मधुर भजन हुए।