बदलती जीवनशैली के कारण बिगड़ते कब्ज ने बढ़ाया पाइल्स: डॉ रितेश अग्रवाल

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NOIDA NEWS: विश्व पाइल्स दिवस मनाने का उद्देश्य आम नागरिकों को अधिकाधिक इस बीमारी के बारे में जागरूक करना जिससे कि उनका डर दूर हो सके तथा उचित निदान कर उसका इलाज किया जा सके।
फेलिक्स अस्पताल के जनरल सर्जन डॉ रितेश अग्रवाल बताते हैं कि हर साल 20 नवंबर को वल्र्ड पाइल्स डे मनाया जाता है। पाइल्स को सामान्यता: खूनी और वादी बवासीर, अर्श, मस्सा, हिमरॉइड भी कहा जाता है। बवासीर गुदा मार्ग के निचले हिस्से में मौजूद रक्त शिराओं में आने वाली सूजन है हालांकि यह गुदा मार्ग के अंदर के होती है लेकिन कई बार गुदा मार्ग के बाहर भी उभरे हुए मस्सों के रूप में महसूस कर सकते हैं। फुंसी होना और मवाद आना, भगन्दर), गुदविद्रधि गुदा मार्ग में में कट लग (फिसर, परिकार्तिका) जाना, गुदा मार्ग का बाहर आना (रेक्टल प्रोलेप्स), अल्सरेटिव कोलाइटिस, रेक्टल पॉलिप, जेनाइटल वाट्र्स, रेक्टल कैंसर आदि बीमारियां होती हैं। इसलिए मनुष्य को सही समय पर उचित चिकित्सक से सलाह लेकर अवश्य दिखाए। आमतौर पर लोग गुदा मार्ग से होने वाली सभी बीमारियों को बवासीर मानते हैं लेकिन वास्तव में कई प्रकार की बीमारियों में एक जैसे लक्षण खून का आना, दर्द होना, कब्ज आदि होते हैं। पाइल्स से लेकर कैंसर तक बीमारियों में एक जैसे लक्षण हो सकते हैं। गुदा मार्ग में पाइल्स (खून का आना), फिस्टुला (गुदा मार्ग के पास
पाइल्स का मुख्य कारण बद्धकोष्ठता है जो कि अनियमित जीवनशैली के कारण होती है। खाने में रेशेदार आहार का कम प्रयोग करना, मल त्याग के समय जोर लगाना, पुरानी कब्ज (क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन) डिसेंट्री, डायरिया, शारीरिक व्यायाम की कमी, आन्तरिय उदरीय दाब वृद्धि (इंट्रा एब्डोमिनल प्रेशर का बढऩा), गर्भावस्था, पुरानी खांसी और बहुत भारी वजन उठाना आदि में उदर में दबाव बढ़ता। इसके अलावा हेमोरॉयडल वेन में वाल्व की अनुपस्थिति, मोटापा, अनुवांशिकी, पोर्टल हाइपरटेंशन, क्रॉनिक कॉन्स्टिपेशन (पुरानी कब्जी), शौच के लिए लंबे समय तक बैठना भी इसका कारण हो सकता है।